Monday, March 26, 2007

प्रतिरोध की अभिव्यक्ति

काफ़ी मुश्किल हो जाता है भूमंडली कारण के इस दौर मे एक आवाज़ बुलंद करना.. एक ऐसी आवाज़ जिसमे ना सिर्फ़ अपने देश , काल , समाज के प्रति एक पॉज़िटिव सोच हो बल्कि उनसे जुड़ी और लिपटी हुई संस्कृति को भी बचाने की जद्दोजहद हो , जुनून हो कि कुछ तो बचा ले जाए , और उसी बचे हुए को लेकर एक निर्माण करे , एक ऐसा निर्माण , जो हमे ले जाता हो अंधेरे के उस पार , जहाँ प्रतिरोध की कोई ज़रूरत ही ना रह जाए ...यहा तक कि जिस तरह के भगोड़ेपन का हम शिकार हैं , उससे भी हमे भागना ना पड़े . लेकिन दुख है कि अभी भी ऐसा नही है अभी भी हमे ख़ुद अपने ही यहाँ प्रतिरोध का सहारा लेना पड़ता है ... ना सिर्फ़ अपनी बात कहने के लिए , बल्कि उन सारी चीज़ो के लिए जिसके लिए हम ज़िंदा है , जिसके लिए हम लड़ते रहते हैं स्वागत है आपका प्रतिरोध में ..इस आशा के साथ कि हम साथ हैं .. क्योकि हम कुछ बनाना चाहते हैं , कुछ सृजन करना चाहते हैं ...