tag:blogger.com,1999:blog-319137644474863945.post9032675931273344542..comments2023-10-26T06:02:04.549-07:00Comments on pratirodh: क्या नारद सिर्फ साहित्य का एक बंद कमरा बन कर रह गया हदुःखदीनhttp://www.blogger.com/profile/16565641066420576362noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-319137644474863945.post-25195124787497349332007-07-04T10:25:00.000-07:002007-07-04T10:25:00.000-07:00तकनीक कितनी जल्दी आती है.आज इस ब्लाग को पढिये और न...तकनीक कितनी जल्दी आती है.<BR/>आज इस ब्लाग को पढिये और नारद के उस कदम पर सोचिये.<BR/>अभी तो सिर्फ बीस दिन भी नहीं हुये!दास कबीरhttps://www.blogger.com/profile/11077134121111525087noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-319137644474863945.post-61574615933616053372007-06-15T05:44:00.000-07:002007-06-15T05:44:00.000-07:00मैं आपकी साफगोई की प्रशंसा करता हूँ। आपने कई आशंका...मैं आपकी साफगोई की प्रशंसा करता हूँ। आपने कई आशंका काफी खुले शब्दों में रखी हैं यही खुलापन ब्लॉगिंग की ताकत है। मुझे विश्वास है कि इनमें कई आशंकाएं निराधार हैं जल्द ही आपको भी विश्वास हो जाएगा किंतु इतने भर से इन आशंकाओं को व्यक्त करना निरर्थक नहीं हो जाता।<BR/><BR/>मेरी राय है कि एक मूल्य के रूप में लोकतंत्र के आ बसने में अरसा लगता है, नारद को भी लगेगा। किंतु हमें इसमें उसकी सहायता करनी चाहिए- आखिर ये हमारा ही नारद है, चन्दे का नहीं।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.com